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Monday, 12 August 2013

मेरा वतन

ये है मेरा वतन   ये है मेरा वतन
गुलशनो का चमन  ये है मेरा वतन
हर तरह के फूल है हर तरह के रंग है
हर एक फूल है नया और नया सा ढंग है
है नये नये गुलशन ये है मेरा वतन


कई है बोलियाँ   कई मजहब यहाँ
कई त्यौहार है    दिलों में प्यार है
है दिल को दिल से जोड़ता
ये हमारा हिंदुस्तान है
रहमते और करम ये है मेरा वतन


है इतना सब कुछ फिर भी ---------


सरहदो पे क्यों लहू है तैरता
देश को चलाने वाला देश को है बेचता
क्यों लड़ रहे है आज आपस में वो सभी
जिन्हें गुमान था आज क्यों है प्यार फेंकता
न जाने क्यों हुआ मेरे वतन का हाल ये
दिलों में प्यार था कहाँ गया माहोल ये
न है जिनके दिलों में वफ़ा वतन के लिए
इन देशद्रोहियों को देश से निकाल  दे



होगी एक दिन नई सुबह
लेके एक नई किरन  ये है मेरा वतन
ये है मेरा वतन 

       स्वरचित 
      स्वाति नेगी

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