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Thursday, 28 July 2016

उलझन

कुछ सवालों के जवाब नहीं होते,
बिखरे पन्ने किताब नहीं होते,
यूंही वीरान कट जाती है कुछ रातें,
कुछ रातों के ख़्वाब नही होते।

जिन्दगी में मिलती है कामयाबी भी,
लेकिन कुछ कामयाबियों के ख़िताब नही होते।

यूं तो ख़ुशी और गम सब पल है जिन्दगी के,
पर कुछ लम्हे है जिनके हिसाब नहीं होते।

दर्द भी बहुत मिलते है इस लंबे सफर में,
कुछ दर्द ऐसे भी है जिनके एहसास नही होते।

बहुत कुछ सोच लेते है हम बिना किसी मतलब के,
क्योंकि सोचने के कोई आकार नहीं होते।

कई रिश्ते बनाते हम अपनी मर्ज़ी से,
पर कई रिश्तों से हम आबाद नही होते।

जो रिश्ते जुड़ गये है उनसे खुश है लेकिन,
कुछ रिश्ते ऐसे है जिनमे जज़्बात नहीं होते।

घूमती है घड़ी की सुइयाँ टिक-टिक टिक-टिक
और कुछ पलों  के आग़ाज नही होते।

खिलखिलाती है कलियाँ महकता है गुलशन,
उस गुलशन में काँटों पर बखान नही होते।
   

                                 स्वरचित
                                स्वाति नेगी

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