तुमको भी , मुझको भी
हम सबको ले डूबी
ये महंगाई ले डूबी।
आज पेट्रोल तो कल डीज़ल की बारी ,
हर हफ्ते बस यही बीमारी ,
आम आदमी पिस्ता ही जाये ,
हाय सिलेण्डर कहर बरसाए ,
खाना कोई कैसे बनाये ,
घर में चूल्हा जल ही न पाये।
वोट मांगते समय जो खायी थी कसमें
वो सारी झूठी।
ये महंगाई ले डूबी ,
तुमको भी , मुझको भी
हम सबको ले डूबी
ये महंगाई ले डूबी।
एक तरफ महंगाई की मार ,
दूसरा करप्शन का अत्याचार ,
वेतन न बढ़ता कभी किसी का ,
फिर करना पड़ता आंदोलन का वार ,
काम ठप होता जब इनका ,
तब सुनते ये जनता की पुकार ,
खाना महंगा पानी महंगा
और महंगी इनकी ड्यूटी।
ये महंगाई ले डूबी ,
तुमको भी , मुझको भी
हम सबको ले डूबी
ये महंगाई ले डूबी।