हाय राजनीति बनी बवाल
राजनेताओं की साज़िश और चाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
भ्रष्टाचार और महँगाई
इनकी खाई खूब मलाई
मोटा पैसा गए डकार
गरीब जनता पे पड़ गयी मार
संसद में लड़ाई और दंगा
बाहर आकर सब कुछ चंगा
जनता पिसती जाए इन सबमें
आया अब जनता में उबाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
मैं ज्यादा तू कम ही खाना
मिलकर गाये सब गाना
तेरी या मेरी सरकार
मिलकर करेंगे देश पे वार
करोड़ो से अब भर गया पेट
अब अरबों का करना है वेट
अन्ना जी ने जलायी मशाल
जल्दी आएगा लोकपाल
पर देश का संचालक मूक बधिर है
यही समस्या बड़ी जटिल है
रामदेव भी बचे इससे
देख लो साधू बाबा का हाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
मत पूछो बस इनकी बात
दानवों को भी देदी इन्होंने मात
नोटों के गद्दे नोटों की रजाई
पूरी हवेली नोटों से सजाई
ऐसे मनती है इनकी दीवाली
गरीब के घर न दाना पानी
भ्रष्टाचार के रंग में लिपटे
होली खेल रहे है जमके
ऐसे ही मनाते है त्यौहार
हाय राजनीति बनी बवाल
बच्चों ने भी बाप से सीखा
सब कुछ इसने आप से सीखा
पहले देश पुरखो ने खाया
बाकी बचा बेटे को थमाया
ये तो पूरी खानदानी बीमारी है
ये आगामी चुनाव की तैयारी है
अभी तो हाथ जोड़ने का वक्त
बाद में हाथ तोड़ने का वक्त है
ये राजनीति का नियम बड़ा सख्त कई
सब जगह फैला गरीब का रक्त है
समझो इसे ये है राजनीति का जाल
हाय राजनीति बानी बवाल।
राजनेताओं की साज़िश और चाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
भ्रष्टाचार और महँगाई
इनकी खाई खूब मलाई
मोटा पैसा गए डकार
गरीब जनता पे पड़ गयी मार
संसद में लड़ाई और दंगा
बाहर आकर सब कुछ चंगा
जनता पिसती जाए इन सबमें
आया अब जनता में उबाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
मैं ज्यादा तू कम ही खाना
मिलकर गाये सब गाना
तेरी या मेरी सरकार
मिलकर करेंगे देश पे वार
करोड़ो से अब भर गया पेट
अब अरबों का करना है वेट
अन्ना जी ने जलायी मशाल
जल्दी आएगा लोकपाल
पर देश का संचालक मूक बधिर है
यही समस्या बड़ी जटिल है
रामदेव भी बचे इससे
देख लो साधू बाबा का हाल
हाय राजनीति बनी बवाल।
मत पूछो बस इनकी बात
दानवों को भी देदी इन्होंने मात
नोटों के गद्दे नोटों की रजाई
पूरी हवेली नोटों से सजाई
ऐसे मनती है इनकी दीवाली
गरीब के घर न दाना पानी
भ्रष्टाचार के रंग में लिपटे
होली खेल रहे है जमके
ऐसे ही मनाते है त्यौहार
हाय राजनीति बनी बवाल
बच्चों ने भी बाप से सीखा
सब कुछ इसने आप से सीखा
पहले देश पुरखो ने खाया
बाकी बचा बेटे को थमाया
ये तो पूरी खानदानी बीमारी है
ये आगामी चुनाव की तैयारी है
अभी तो हाथ जोड़ने का वक्त
बाद में हाथ तोड़ने का वक्त है
ये राजनीति का नियम बड़ा सख्त कई
सब जगह फैला गरीब का रक्त है
समझो इसे ये है राजनीति का जाल
हाय राजनीति बानी बवाल।
स्वरचित
स्वाति नेगी