हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
जल थल मई भी है, पल-पल में भी है.
पवन की सरसराहट में , नदी की कल कल में भी है.
तीनो प्रहर में भी है, क्षण-क्षण में भी है.
अम्बर में समाया, कण-कण में भी है.
हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
तू भूल गया उसकी महिमा, पर वो न भुला मेरा लाल भी है.
तुझे दुःख जो मिले वो भी थी उसकी लीला
तब याद तुझे आया घनश्याम भी है.
हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
कभी सच का है साया, झूठ का जाल भी है.
तेरा जवाब भी वही हे, तेरा सवाल भी है.
तेरा कल भी वही है, तेरा आज भी है.
तेरा जीवन उसी से, तेरा काल भी है.
हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
मत सोच कभी तुने क्या है पाया.
बस सोच यही तेरा राम ही है.
और भूल जा तुने क्या है गवाया.
हरी-राम रतन तेरे पास ही है.
हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
I only have to say one word for this superb poetry..
ReplyDelete"Wonderful".
thank you dear
Deleteyaar mere liye bhi ek do item chipka de....bole to shayari maar de????????
ReplyDeleteokay pakka
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