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Sunday, 12 August 2018

Alone quotes

When you have everyone but no one.
Swati negi.

Sunday, 15 July 2018

Life quotes

This is not about what life choose for you, this is about what you choose for life.
           Swati Negi

Saturday, 14 July 2018

Unplanned life

Life is unplanned dont waste your time on planning just go with the flow and go with the flow and enjoy the moments and also be ready for surprises.
                                            Swati Negi

Wednesday, 23 November 2016

ज़िन्दगी की आँख मचोली

जिंदगी पल भर के लिए बैठती है मेरे पास,
हँस के मेरा हाल पूछ कर चली जाती है।
खुद ही दर किनार करती ही मुझे खुद से,
जो हो जाऊ तो फिर हसीन मंजर दिखा जाती है।

क्यों वो खेल रही है मुझसे,
खो-खो , कबड्डी जैसे,
गिरते, उठते, सँभलते,
मुझे देखना चाह रही हो जैसे,
एक उम्मीद जो मुझे जीना सिखाये,
हर बार वो एक उम्मीद मुझे दे जाती है,
और हँस के मेरा हाल पूछ कर चली जाती है।

कुछ कारवाँ चल पड़ा है अरमानों का,
काफ़िले भी बन गए है अपने अपने,
उथल-पुथल हो गया है सब कुछ,
अब हम छाँट रहे है हक़ीक़त और सपने,
हकीकत हमें पसंद नहीं,
तो वो सपनों से मन बहला जाती है,
वो फिर से हँस के मेरा हाल पूछ कर चली जाती है।

                           स्वरचित

                         स्वाति नेगी

Sunday, 2 October 2016

कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।
बरसों से दोस्ती का खंज़र थे तुम छुपाये,
अब बातचीत की सारी हदे टूट चुकी है।

अब गिन-गिन के हिसाब होगा
और यकीन मनना बेहिसाब होगा
तुम छुप के 17 मारोगे,
हम खुल के हज़ार मारेंगे,
तुम समझे तुम जीत जाओगे,
हम तुम्हे जीत का असली मतलब समझाएंगे,
वो दिन गए जब तुम हमारा सिर काट कर ले गए थे
अब तो तुम्हारे सिर कलम करने की तैयारी हो चुकी है।
कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।।

अगर आँख फिर से उठायी,
तो अब आँख न रहेगी,
होगा पंच में विलीन तू
कोई निशानी न रहेगी,
ये देश होगा तेरे लिए मेरे लिये मेरी माँ है,
मेरे वतन पे एक वार, और तेरी कहानी न रहेगी,
पाकिस्तान तू ले रहा है जिन आतंकियों का सहारा,
जो हमने हमला कर दिया तो तेरी ज़मात न रहेगी,
थे बंधे हाथ अब तक तो तू हवा में उड़ रहा था
अब शेरों की टोली शिकार पर निकल चुकी है।
कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।।

                      स्वरचित
                    स्वाति नेगी

सेना को समर्पित

कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।
बरसों से दोस्ती का खंज़र थे तुम छुपाये,
अब बातचीत की सारी हदे टूट चुकी है।

अब गिन-गिन के हिसाब होगा
और यकीन मनना बेहिसाब होगा
तुम छुप के 17 मारोगे,
हम खुल के हज़ार मारेंगे,
तुम समझे तुम जीत जाओगे,
हम तुम्हे जीत का असली मतलब समझाएंगे,
वो दिन गए जब तुम हमारा सिर काट कर ले गए थे
अब तो तुम्हारे सिर कलम करने की तैयारी हो चुकी है।
कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।।

अगर आँख फिर से उठायी,
तो अब आँख न रहेगी,
होगा पंच में विलीन तू
कोई निशानी न रहेगी,
ये देश होगा तेरे लिए मेरे लिये मेरी माँ है,
मेरे वतन पे एक वार, और तेरी कहानी न रहेगी,
पाकिस्तान तू ले रहा है जिन आतंकियों का सहारा,
जो हमने हमला कर दिया तो तेरी ज़मात न रहेगी,
थे बंधे हाथ अब तक तो तू हवा में उड़ रहा था
अब शेरों की टोली शिकार पर निकल चुकी है।
कल तक जो हाथ बंधे थे,
अब उनकी बेड़िया खुल चुकी है।।

                      स्वरचित
                    स्वाति नेगी