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Monday, 7 May 2012

umesh am i right

dusro k andar kami nikalne se pahle ek baar khud ko bhi dekh lena chahiye kyunki dusro ki kami nikalna bhi khud me ek sabse badi kami he.
aam insaan bhi kabhi kabhi haklta he bas fark itna he ham kam haklate he or wo jyada.agar aap ese logo ko motivate karte rhenge to ek din wo bhi hamari tarah kam haklaenge.
      haklate sabhi he.
Dont do such a behave which u dont want for u
but no body do this everybody wants to point others but when its their turn they try to escape

its true in this month mene bhut baar aajma liya its my personal experience
good morning dear

Friday, 27 April 2012

hari-raam naam

हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.
जल थल मई भी है, पल-पल में भी है.
पवन की सरसराहट में , नदी की कल कल में भी है.
तीनो प्रहर में भी है, क्षण-क्षण में भी है.
अम्बर में समाया, कण-कण में भी है.
हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.

तू भूल गया उसकी महिमा, पर वो न भुला मेरा लाल भी है.
तुझे दुःख जो मिले वो भी थी उसकी लीला
तब याद तुझे आया घनश्याम भी है.

हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.

कभी सच का है साया, झूठ का जाल भी है.
तेरा जवाब भी वही हे, तेरा सवाल भी है.
तेरा कल भी वही है, तेरा आज भी है.
तेरा जीवन उसी से, तेरा काल भी है.

हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.

मत सोच कभी तुने क्या है पाया.
बस सोच यही तेरा राम ही है.
और भूल जा तुने क्या है गवाया.
हरी-राम रतन तेरे पास ही है.

हरी राम भी है , हरी श्याम भी है.
हरी तुझमे बसा तेरा नाम भी है.


  
 

Monday, 16 April 2012

लेखनी



                  लेखनी


हर तरह के लेख लिखती लेखनी
भिन्न-भिन्न से अनुभव करती लेखनी
मन के हर सुख-दुख के भेद खोलती है
कदम-कदम पर साथ हमारा देती हेै।
दिल की बाते कागज पर लिख जाती है।
लोगो की कल्पना को वास्तविकता दे जाती है।
कभी तो शब्दों के हेर फेर से सबको उलझाती है।

इसकी ये अटखेलियां अब है देखनी ।
हर तरह के लेख लिखती लेखनी

हमारी भाषा को एक आकार देती है। 
किसी को अच्छा तो किसी को बुरा परिणाम देती है।
लेकिन ये सब इस बात पर भी निर्भर करता है।
कि लेखनी किसके हाथ में  रहती है।
तभी तो कहते है रंग बदलती लेखनी  ।
भिन्न-भिन्न से अनुभव करती लेखनी

जिसके हाथ उसी की भाषा 
अच्छा इंसान हो तो आशा ही आशा  
इंसान बुरा हो तो होगी बस ईष्र्या
दुखी होगा तो निराशा -निराशा
संत के पास हो तो ज्ञान की मधुशाला
ढ़ोंगी फरेबी हो तो स्वार्थ का प्याला
अच्छी सोच गृहण करके बुरी सोच हे फेंकनी
तभी जीवन होगा सफल और सुन्दर लेख लिखेगी लेखनी । 
                        स्वरचित                                          स्वाती नेगी 

Thank You God

Thank you God you make me a human being, I will care of it and this I really mean.
I will always be your pride, And you will say you are my dearest child.
I will try to follow your bench-march, Either its day or its dark.
I want to become your favourite, This is my first and last craze.
Will you always show me the right path, And help me to make me first class.
I will always work for man-kind, If anyone will create problem I will find.
Will you always give me a solution, For my tough life's equations.
You will always give I will always take, Even it will be true or it will be fake.
I will admit your foot-mark, If people will tease me then lets the dogs bark.
You had give me such a precious life, And you will see I'll survive.
                                                     Made by :- Swati Negi