वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।
हाँ लोकतंत्र अब अंतिम सांसे लेर रहा है।।
हो रही है हर रोज़ संविधान् की हत्या,
हर रोज मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।।
असत्य का परचम लहराने वाले खुशहाली में खेल रहा है,
सत्य के पथ पर चलने वाला अत्याचारों के वार झेल रहा है।
गुनहगारों पर है हल्का कानून का हाथ,
और बेगुनाहों नाहों पर कानून को डंडा बोल रहा है।
वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।।
अदालतों में सच्चे मुकदमों में तारीख़ पर तारीख़,
झूठे मुकदमों पर जल्दी फैसला हो रहा है।
प्रमाणों के साथ नहीं हो रही है FIR दर्ज,
और एक झूठे ट्वीट से मुकदमा दर्ज हो।
वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।।
बेगुनाह और सत्यवादी जा रहे हैं जेल के अंदर,
गुनहगारों और असत्यवादियों का स्वागत हो रहा है।
संविधान की हत्या संविधान के रक्षक कर रहे हैं,
लोकतंत्र ICU में लेटा रो रहा है।
वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।।
अभी भी वक्त है बचा लो संविधान को,
क्योंकि वो और तेज़ी से उसकी सांसे रोक रहा है।
वो लोकतंत्र का गला घोंट रहा है।।
स्वरचित
स्वाति नेगी