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Friday 12 February 2016

मेरा नींद से रिश्ता

कितनी खूबसूरत है ये नींद
दबे पाँव आती है और मुझे अपने आग़ोश में भर लेती है।

कुछ लम्हा चुरा लेती है वो मुझे सबसे
मुझे दुनिया से बेगाना कर देती है।
कुछ कहती नहीं खामोश रहती है
बस यादों के हवाले कर देती है।
मुझे दिखाती है वो नए नए खेल
फिर मुझपे वो खिलखिलाती है।

कोई लाख जगाना चाहे मुझको
वो मुझे सबसे बेगाना कर देती है।
बस उसका ही सुरूर छाया रहता है
वो इतना बेपरवाह कर देती है।........

कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा नींद से...... to be continued.

             Poet
         Swati Negi